हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , शेख़ अलक़तान ने लेबनान द्वारा एक इजरायली कैदी को ज़ायोनी दुश्मन के हवाले करने पर गहरी हैरानी जताते हुए कहा,जब हमारे दर्जनों लेबनानी नागरिक दुश्मन की जेलों में बंदी हैं, तो सरकार किस आधार पर एक इजरायली को बिना किसी बदले के वापस कर रही है? कम से कम बदले में हमारे कुछ नागरिकों की रिहाई होनी चाहिए थी।
शेख अल-क़तान ने कहा कि कुछ सरकारें और ताकतें शांति और साजिश (यानी, संबंधों की बहाली) के नाम पर दुश्मन को सब कुछ देने को तैयार हैं, लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं करतीं। उनके अनुसार, यह दुश्मन हर दिन लेबनान की संप्रभुता का उल्लंघन करता है। हमारे क्षेत्रों पर कब्जा करता है और निहत्थे नागरिकों को मारता है।
ऐसी परिस्थितियों में हथियार दुश्मन के हवाले करना धार्मिक कानून की दृष्टि से भी नाजायज़ है, क्योंकि इससे उम्मत और अधिक खतरों में घिर जाएगी।
उन्होंने कहा,कौन इस बात की गारंटी दे सकता है कि इजरायल लेबनान पर दोबारा पूरी तरह कब्जा नहीं करेगा? यहाँ तक कि अमेरिका भी इसकी गारंटी नहीं दे सकता।
शेख क़तान ने लेबनानी सेना में अपना पूरा विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि सेना जनता के साथ है और कभी भी आंतरिक या गृहयुद्ध में नहीं उलझेगी, बल्कि राष्ट्रीय एकता और शांति की गारंटी है।
अंत में, उन्होंने दुआ की कि अल्लाह लेबनान और सभी अरब और मुस्लिम देशों को दुश्मन की साजिशों और हमलों से सुरक्षित रखे।
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